THE 2-MINUTE RULE FOR SHAYARI

The 2-Minute Rule for shayari

The 2-Minute Rule for shayari

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क्योंकि मैं उनसे अब और कुछ मांगता ही नहीं।

Punjabi Sufi poetry considers The perfect Punjabi mystic poetry of all time that gives an inspiring educating on the reader. This part of Punjabi Poetry and Punjabi Shayari shares a food of believed for all. So, don't hesitate to share your Suggestions and comments about Punjabi Poetry with the whole world.

यह शे’र ग़ालिब के मशहूर अशआर में से एक है। इस शे’र में जितने सादा और आसान अलफ़ाज़ इस्तेमाल किए गए हैं, उतनी ही ख़्याल में संजीदगी और गहराई भी है। आम पढ़ने वाला यही भावार्थ निकाल सकता है कि जब कुछ मौजूद नहीं था तो ख़ुदा का अस्तित्व मौजूद था। अगर ब्रह्मांड में कुछ भी न होता फिर भी ख़ुदा की ज़ात ही मौजूद रहती। यानी ख़ुदा की ज़ात को किसी बाहरी वस्तु के अस्तित्व की ज़रूरत नहीं बल्कि हर वस्तु को उसकी ज़ात की ज़रूरत होती है। दूसरे मिसरे में यह कहा गया है कि मुझको अपने होने से यानी अपने ख़ुद के ज़रिए नुक़्सान पहुँचाया गया, अगर मैं नहीं होता तो मेरे अपने अस्तित्व की प्रकृति न जाने क्या होती।

प्रेम शायरी के हसीन अल्फाज़ दिल के सबसे करीब होते हैं। इसमें मोहब्बत की मिठास, इश्क की खुमारी, और चाहत की तासीर को बेहद खूबसूरती से पिरोया जाता है। प्यार के हर एहसास को बयां करती ये शायरी दिल को छू लेने वाली होती है। चाहे वो पहली मुलाकात हो या दिल के जज़्बात, हर लम्हा इन शायरियों में समाया रहता है। अपने दिल की बात शायरी के ज़रिए बयाँ करें और इसे अपने दोस्तों और प्रेमी के साथ शेयर करें। उम्मीद है, आपको हमारी शायरी की ये बेहतरीन कलेक्शन पसंद आएगी।

जो अब तुम साथ हो तो डर लगता है कि हमें किसी की नज़र ना लग जाय।

ऐसा लगता shayri है जैसे भूल रहा है कोई धीरे धीरे !

Punjabis are occurring, energetic, and society oriented. They offer equal great importance to their language, food items, literature and poetry. You just can’t pass up the significance of unfortunate & Punjabi intimate poetry. Considering that ancient moments, Punjabi poetry has manufactured a deep mark on its natives through the magical verses of Waris Shah and Bulleh Shah.

यह शे’र ग़ालिब के मशहूर अशआर में से एक है। इस शे’र में जितने सादा और आसान अलफ़ाज़ इस्तेमाल किए गए हैं, उतनी ही ख़्याल में संजीदगी और गहराई भी है। आम पढ़ने वाला यही भावार्थ निकाल सकता है कि जब कुछ मौजूद नहीं था तो ख़ुदा का अस्तित्व मौजूद था। अगर ब्रह्मांड में कुछ भी न होता फिर भी ख़ुदा की ज़ात ही मौजूद रहती। यानी ख़ुदा की ज़ात को किसी बाहरी वस्तु के अस्तित्व की ज़रूरत नहीं बल्कि हर वस्तु को उसकी ज़ात की ज़रूरत होती है। दूसरे मिसरे में यह कहा गया है कि मुझको अपने होने से यानी अपने ख़ुद के ज़रिए नुक़्सान पहुँचाया गया, अगर मैं नहीं होता तो मेरे अपने अस्तित्व की प्रकृति न जाने क्या होती।

फ़ानी बदायुनी टैग : फ़ेमस शायरी शेयर कीजिए

मैं लोगों से मुखातिब जल्दी नहीं होता, गर होता हूँ तब या तो दिल लगा बैठता हूँ या दिल दे बैठता हूँ।

उनकी चिंगारी बहार निकलती है घर के परिंदों के पेंछे।

यूँ तो मैं ज़िंदा था तुमसे मिलने से पहले भी, पर जीने का मकसद तो तुमसे मिला है।

कुछ खास नहीं बस इश़्क का इज़हार लिए बैठा हूँ!

उधर ही ले चलो कश्ती जिधर तूफान आया है..!!!

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